India-US Trade News: डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद के लिए शपथ लेने के बाद जो भाषण दिया है उससे कई देशों को झटका लगा है. अमेरिका फर्स्ट की उनकी पॉलिसी भारत जैसे देशों की मुश्किलें बढ़ा सकती है तो ट्रेड के मोर्चे पर भारत और अमेरिका के बीच विवाद बढ़ सकता है. ऐसे में व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारतीय उत्पादों पर हाई ड्यूटी लगाने का फैसला करते हैं तो उसके जवाब में भारत को भी उसी तरह के कदम उठाने चाहिए.
ट्रेड से जुड़े एक्सपर्ट के मानना है कि भारत ने पहले भी अमेरिका द्वारा कुछ इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों पर लगाए गए गैरकानूनी शुल्कों के जवाब में सेब जैसे कई अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी सीमा शुल्क लगाए हैं. ट्रंप ने दिसंबर में कहा था कि भारत ‘बहुत’ ड्यूटी लगाता है. इसके साथ ही उन्होंने कुछ अमेरिकी उत्पादों के आयात पर भारत द्वारा लगाए जाने वाले शुल्कों के जवाब में पारस्परिक शुल्क लगाने के अपने इरादे को भी दोहराया था.
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘भारत को दृढ़ता से और समान उपायों के साथ जवाब देना चाहिए. इसके पहले 2018 में जब अमेरिका ने भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम पर कर लगाया था तो भारत ने भी 29 अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई की थी. अजय श्रीवास्तव ने कहा, अगर नया अमेरिकी प्रशासन ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे को आगे बढ़ाने का फैसला करता है, तो भारतीय निर्यातकों को वाहन, कपड़ा और औषधि उत्पादों के लिए उच्च सीमा शुल्क का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा एच-1बी वीजा नियमों को सख्त करने पर भारतीय आईटी फर्मों की वृद्धि प्रभावित हो सकती है.
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ अभिजीत दास ने कहा, ‘अगर अमेरिका अतिरिक्त शुल्क लगाता है तो भारतीय वस्तुओं के लिए बाजार बंद हो जाएगा. ऐसी स्थिति में भारत को भी समान उपायों के साथ जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए। इससे गैरकानूनी शुल्क हटाने पर भविष्य में होने वाली बातचीत में भारत की स्थिति मजबूत होगी.
व्यापार विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि भारत पर आयात शुल्क के ‘दुरुपयोग’ करने का ट्रंप का आरोप अनुचित है क्योंकि अमेरिका सहित कई देश कुछ उत्पादों पर उच्च सीमा शुल्क लगाकर अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा करते हैं. अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ बिस्वजीत धर ने कहा कि ट्रंप विभिन्न क्षेत्रों में शुल्क बढ़ाएंगे क्योंकि उन्हें ‘अमेरिका को फिर से महान बनाओ’ (एमएजीए) के अपने नारे को पूरा करने की दिशा में कदम उठाना है. धर ने कहा, ‘ट्रंप पहले भी भारत के साथ व्यापार अधिशेष का मुद्दा उठा चुके हैं। भारत ने हमेशा परामर्श का समर्थन किया है, कभी एकतरफा काम नहीं किया है। लेकिन अगर चीजें काम नहीं करती हैं तो हमें उसके हिसाब से कदम उठाने के बारे में सोचना चाहिए.
निर्यात संगठनों का मानना है कि ट्रंप शुल्क बढ़ाने की अपनी धमकी पर आगे नहीं बढ़ेंगे, क्योंकि कई अमेरिकी कंपनियों ने भारत में निवेश में रुचि दिखाई है और शुल्क लगाने का उन पर भी असर होगा. निर्यातक संगठनों के महासंघ FIEO के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा, ‘मुझे लगता है कि भारत-अमेरिका व्यापार संबंध और मजबूत होंगे. अगर अमेरिका चीनी उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाता है तो उससे भारत के पास अमेरिका को अपना निर्यात बढ़ाने का अवसर होगा. पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उप महासचिव एस पी शर्मा ने आशंकाओं को दरकिनार करते हुए कहा कि ट्रंप के पिछले कार्यकाल की तरह इस बार भी भारत-अमेरिका के आर्थिक और व्यापार संबंधों में मजबूती आने की उम्मीद है.
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