Premanand Ji Maharaj Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.
प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि हमे सबसे पहले यह देखना है कि हम अच्छा क्यों नहीं कर पा रहे हैं. हम विषय में फेल क्यों हैं. अगर आप ब्रह्मचाही हो, पवित्र आहार करते हो, संयम से रहते हो, तो पढ़ाई सरल चीज है. मन को भगवान में लगाना सबसे कठिन है. संसार में सबसे कठिन चीज है मन को एकांत में बैठ कर भगवान में लगाना. जिस समय भी हम भगवान में मन लगाएंगे, तो अन्य विषयों में मन भागेगा.
पहाड़ को उठा लेना सहज है, कठिन वह भी है. लेकिन मन को रोक लेना उससे भी अधिक कठिन है. अगर मन ने ठान लिया उस विषय का चिंतन तो तुम लाख उपाय भी करो करेगा और तुमको झुका देगा, गिरा देगा. मन को जब पढ़ाई में लगाएंगे तो उतना नहीं भागेगा जितना भजन में भागेगा. क्योंकि पढ़ाई संसारिक बात है. हम मनोरंजन में लग जाते हैं वरना पढ़ाई का अपना विषय और ब्रह्मचर्य जीवन जो गुरुकुल में निवास किया जाता था वो इसीलिए क्योंकि तपस्वी की तरह विद्या अध्ययन किया जाता था साथ ही वेदों का अध्ययन किया जाए. अब वेद नहीं तो आधुनिक पढ़ाई है, विद्यार्थी का जीवन एक तपस्वी की तरह होता है.
अगर संयम से रहेंगे नहीं तो आप मन पढ़ाई में लगेगा नहीं और गंदी बातें मन में विचार में आएगी. जो नहीं आनी चाहिए यह एक पवित्र जीवन होता है, एक संयमी जीवन होता है. आजकल के लोग पढ़ें लिखे शैतान हो रहे हैं. पढ़ाई करने के बाद नौकरी नहीं मिल रही तो चोरी कर रहे हैं. इसीलिए विद्यार्थी के जीवन का लक्ष्य होना चाहिए महान बनना, महान बनने के लिए हमे तपना पड़ेगा, कष्ट सहना पड़ेगा. विद्या को साधना की तरह करना चाहिए. तभी आप पढ़ाई में सफल कहलाएंगे.
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