रिटायरमेंट जीवन का वह पड़ाव है, जब व्यक्ति अपनी नौकरी या व्यवसाय से फ्री होकर आरामदायक और तनावमुक्त जीवन जीना चाहता है. हालांकि, यह तभी संभव है जब आपके पास अच्छा पैसा हो. यानी आर्थिक रूप से सुरक्षित और स्थिर भविष्य हो. रिटायरमेंट प्लानिंग एक ऐसा प्रक्रिया है जो न केवल आपको फाइनेंशियल फ्रीडम देती है, बल्कि आपके परिवार की जरूरतों को भी पूरा करने में मदद करती है. चलिए, जानते हैं कि रिटायरमेंट प्लानिंग कैसे करनी चाहिए.
क्यों जरूरी है रिटायरमेंट प्लानिंग?
दरअसल, एक उम्र के बाद आपके अंदर काम करने की इच्छा नहीं बचती. आप चाहते हैं कि आप अब अपनी जिंदगी सुकून से जिएं. इसलिए आपको उस वक्त उन पैसों की जरूरत होती है, जो आपने काम के दौरान बचाए होते हैं. यानी रिटायरमेंट के लिए रखे होते हैं. इसके अलाना रिटायरमेंट प्लानिंग इसलिए भी जरूरी है, ताकि आप मुद्रास्फीति के प्रभाव से परेशान ना हों.
दरअसल, आज 10 रुपये में जो सामान मिलता है, वह रिटायरमेंट के बाद अधिक महंगा हो सकता है. इसलिए, मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त बचत और निवेश करना अभी से जरूरी है. इसके अलावा, बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ती हैं. ऐसे में मेडिकल खर्च रिटायरमेंट के बाद आपकी सबसे बड़ी चिंता ना बन जाए, इसका ख्याल रखते हुए आपको अभी से स्वास्थ्य बीमा और आपातकालीन फंड का इंतजाम कर लेना चाहिए. इसके अलावा लाइफस्टाइल स्टेटस और आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी रिटायरमेंट प्लानिंग बहुत जरूरी है.
रिटायरमेंट प्लानिंग कैसे शुरू करें?
रिटायरमेंट प्लानिंग जितनी जल्दी शुरू करेंगे, उतनी ही अधिक बचत और रिटर्न का फायदा मिलेगा. दरअसल, कंपाउंडिंग का प्रभाव समय के साथ बढ़ता है, जिससे आपकी बचत अधिक हो जाती है. इसके अलावा अभी से यह तय करें कि रिटायरमेंट के बाद हर महीने आपको कितने पैसे की आवश्यकता होगी. इसी के हिसाब से अपनी वर्तमान इनकम, खर्च, और मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए लक्ष्य निर्धारित करें.
अभी से सही निवेश करें
अपने रिटायरमेंट फंड को बढ़ाने के लिए ऐसे निवेश साधनों को चुनें जो आपके जोखिम लेने की क्षमता और समय सीमा के अनुसार हों. लॉन्ग टर्म के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) और सीनियर सिटिजन्स सेविंग स्कीम (SCSS) जैसे विकल्प चुन सकते हैं. इसके अलावा इक्विटी, डेट, गोल्ड और रियल एस्टेट में भी आप निवेश कर सकते हैं.