Myths Vs Facts: गर्भवती महिला को मॉर्निंग सिकनेस हो रही है तो वह लड़की को जन्म देगी? जानें क्या है पूरा सच

प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के हार्मोनल चेंजेज होते हैं. इसलिए इस दौरान यह कहना बिल्कुल मुश्किल है कि अगर किसी महिला को कोई दिक्कत हो रही है तो सभी महिला को यही दिक्कत होगी. क्योंकि इस तरह के बदलाव पर्सन टू पर्सन डिपेंड करता है. अक्सर एक बात कही जाती है कि अगर किसी गर्भवती महिला को सुबह के वक्त काफी ज्यादा आलस यानी मॉर्निंग सिकनेस हो रही है तो गर्भ में पल रहा बच्चा लड़की है. ऐसी ही प्रेग्नेंसी से जुड़ी कई सारी मिथ हमारे आसपास है. आइए जानें इस बात में कितनी सच्चाई है?

समाज का एक बड़ा तपका है कि इन बातों पर आंख बंद करके विश्वास कर लेता है. सबसे हैरानी की बात यह है कि बातें मिथ होते हुए भी यह सच्चाई पर भारी पड़ती है . ऐसी बातों को लेकर ‘एबीपी लाइव हिंदी’ की खास पेशकश है Myth Vs Facts.  ‘Myth Vs Facts सीरीज’ की कोशिश है कि आपको दकियानूसी बातों की दलदल से निकालकर आपतक सच्चाई पहुंचाना.

Fact Check

एक महिला की मॉर्निंग सिकनेस जितनी ज़्यादा गंभीर होती है, उतनी ही संभावना है कि वह लड़की को जन्म देगी. या ऐसा एक लोकप्रिय मिथक है. और अगर आप इस विषय पर किसी विशेषज्ञ से पूछें तो यह मिथक ही हो सकता है. लेकिन शोध से पता चलता है कि इसमें कुछ सचाई हो सकती है. 2004 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान मतली और उल्टी के लिए इलाज लेने वाली महिलाओं में लड़कियों को जन्म देने वाली महिलाओं का अनुपात उन महिलाओं की तुलना में थोड़ा ज़्यादा था जिन्होंने इलाज नहीं करवाया था.

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प्रेग्नेंसी के दौरान मॉर्निंग सिकनेस गर्भावस्था के दौरान होने वाली मतली और उल्टी है. यह 70 से 85 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती है. गर्भावस्था के दौरान हार्मोन के स्तर में बदलाव की वजह से यह होती है. 

मॉर्निंग सिकनेस के बारे में ज़्यादा जानकारीः 

गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में इस तरह की दिक्कत शुरू होती है और 14वें से 16वें हफ़्ते तक होती रहती है. हालांकि, कुछ महिलाओं को पूरे 9 महीने यानी गर्भावस्था के दौरान इस तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं. 

मॉर्निंग सिकनेस के लिए कई घरेलू उपचार हैं
 
कुछ प्रसूति विशेषज्ञ ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाओं की सलाह देते हैं. 

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मॉर्निंग सिकनेस से राहत पाने के लिए एक्यूप्रेशर और अरोमाथेरेपी भी की जा सकती है. 

मॉर्निंग सिकनेस से बचने के लिए, तेज गंध से बचना चाहिए और छोटे-छोटे घूंट लें. 

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ताजे फल, उबले अंडे, दही, पनीर, शर्बत, क्रैकर्स और अनाज खाना चाहिए.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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