India US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement – BTA) में ‘जीरो-फॉर-जीरो’ टैरिफ मॉडल शामिल नहीं किया जाएगा. सरकारी सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के आर्थिक विकास के स्तर में बड़ा अंतर होने के कारण ऐसी रणनीति व्यावहारिक नहीं है.
बड़े पैकेज डील पर काम हो रहा
‘ज़ीरो-फॉर-ज़ीरो’ मॉडल के तहत दोनों देश एक-दूसरे के समान उत्पादों पर टैरिफ पूरी तरह खत्म करते हैं. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के समझौते विकसित देशों जैसे अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच संभव हैं, भारत जैसे विकासशील देश के साथ नहीं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि ट्रेड डील इस आधार पर नहीं होती कि “अगर अमेरिका इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैरिफ हटाएगा, तो हम भी हटा देंगे.” उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका एक व्यापक पैकेज डील की दिशा में काम कर रहे हैं, जिसमें वस्तुएं, सेवाएं और गैर-टैरिफ बैरियर्स (non-tariff barriers) जैसे मुद्दों को शामिल किया जाएगा.
इस डील की बातचीत मार्च 2025 में शुरू हुई थी और इसका पहला चरण सितंबर–अक्टूबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस समय भारत और अमेरिका के बीच करीब 191 अरब डॉलर का व्यापार होता है, जिसे 2030 तक 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है.
भारत बेहतर स्थिति में
फिलहाल दोनों देशों के बीच सेक्टरोल चर्चाएं होनी बाकी हैं. भारत सरकार का मानना है कि वह अन्य देशों की तुलना में व्यापार समझौतों के लिए बेहतर तैयारी की स्थिति में है. वहीं ‘ज़ीरो-फॉर-ज़ीरो’ की अवधारणा दिल्ली स्थित थिंक टैंक ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (GTRI) द्वारा पेश की गई थी, लेकिन भारत सरकार अब एक संतुलित और व्यापक बातचीत की पक्षधर दिख रही है.
इस बातचीत में अमेरिका की प्रमुख मांगों में औद्योगिक उत्पाद, इलेक्ट्रिक गाड़ियां, वाइन, पेट्रोकेमिकल्स, डेयरी और कृषि उत्पाद जैसे सेब, नट्स और अल्फाल्फा शामिल हैं. वहीं भारत की ओर से टेक्सटाइल, गारमेंट, जेम्स एंड ज्वेलरी, लेदर, प्लास्टिक, केमिकल्स, ऑयल सीड्स, झींगे और हॉर्टिकल्चर जैसे लेबर इंटेंसिव सेक्टर्स पर टैरिफ में रियायत की मांग की जा रही है.
अमेरिक से 35 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस
आपको बता दें कि अमेरिका पिछले तीन सालों से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना हुआ है. 2023-24 में भारत ने अमेरिका के साथ 35.3 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस दर्ज किया. भारत के टॉप एक्सपोर्ट्स में दवाइयां (8.1 बिलियन डॉलर), टेलीकॉम उपकरण (6.5 बिलियन डॉलर), कीमती रत्न (5.3 बिलियन डॉलर) और पेट्रोलियम उत्पाद (4.1 बिलियन डॉलर) शामिल रहे. वहीं, भारत ने अमेरिका से कच्चा तेल (4.5 बिलियन डॉलर), पेट्रोलियम (3.6 बिलियन डॉलर), कोयला (3.4 बिलियन डॉलर) और एयरोस्पेस पार्ट्स (1.3 बिलियन डॉलर) जैसे उत्पाद इंपोर्ट किए.
कुल मिलाकर, भारत-अमेरिका व्यापार समझौता किसी एकतरफा रियायतों पर आधारित नहीं होगा, बल्कि एक लॉन्गटर्म और रणनीतिक दृष्टिकोण से बनाया जा रहा है, जो दोनों देशों की घरेलू प्राथमिकताओं और वैश्विक व्यापार संतुलन को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा.
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